मैं कुछ और हू....ये तो नहीं
मैं कुछ और हू
ये तो नहीं
मुझमे हैं
उजाला भी
अँधेरा भी
मैं हु
गलत भी
सही भी
तुम सोचोगे
में भी तुम्हारी तरह
इंसान हू
पर..में कुछ और हू
ये तो नहीं
उस उजाले के
साए में
जो अँधेरा पनपे
उस सही में
तुझको जो गलत
दिखाई दे
उस हर एक गलत्
के साथ हर रोज
वो मैं हू
मैं कुछ और हू
ये तो नहीं.....
ये तो नहीं
मुझमे हैं
उजाला भी
अँधेरा भी
मैं हु
गलत भी
सही भी
तुम सोचोगे
में भी तुम्हारी तरह
इंसान हू
पर..में कुछ और हू
ये तो नहीं
उस उजाले के
साए में
जो अँधेरा पनपे
उस सही में
तुझको जो गलत
दिखाई दे
उस हर एक गलत्
के साथ हर रोज
वो मैं हू
मैं कुछ और हू
ये तो नहीं.....
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