Thursday, January 22, 2009

दिल की धड़कन

हम उनके दिल की धड़कन में तो रहते हे
पर उनके घर में कोई और बसता हे

ज़माने क रीत हे अजीब जो दो फूल खिले साथ साथ
खिलते ही मुकद्दर उनका माली तय करता हे

सीने में मोहब्बत तो पलती हैं
पर ये जो दिल तनहा है वो तड़पता है

दिल पर काबू पाने क कोसिस क बहुत
पर ये खमबख्त धडकना भी तो नहीं छोड़ता

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