हम उनके दिल की धड़कन में तो रहते हे
पर उनके घर में कोई और बसता हे
ज़माने क रीत हे अजीब जो दो फूल खिले साथ साथ
खिलते ही मुकद्दर उनका माली तय करता हे
सीने में मोहब्बत तो पलती हैं
पर ये जो दिल तनहा है वो तड़पता है
दिल पर काबू पाने क कोसिस क बहुत
पर ये खमबख्त धडकना भी तो नहीं छोड़ता
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