मैं कौन हूँ !!
दरख्तओ ने पूछा फूलो से , कौन हो तुम
फूल बस मुस्कुराते रहे, और उन्हें आता भी क्या है
सागर ने पूछा नदिया से, कौन हो तुम
नदी आकर मिल गई सागर में, और जाती भी कहा पर
मीनार पूछती है नींव के पत्थर से , कौन हो तुम
वो और नीचे को धसक गया , और बेचारा जाता भी कहा पर
सावन पूछता है बादल से , कौन हो तुम
बादल चला गया बरस कर, सावन को नही पता उसे किसने भिगोया
पतंग पूछती हैं मांझे से , क्यो पीछे पड़े हो मेरे
वो तो आसमान में पहुच गई हवा से बात करते करते
मैं पूछ बैठा मुझसे कि मैं कौन हूँ
आइना तोड के में सोने चला गया.
फूल बस मुस्कुराते रहे, और उन्हें आता भी क्या है
सागर ने पूछा नदिया से, कौन हो तुम
नदी आकर मिल गई सागर में, और जाती भी कहा पर
मीनार पूछती है नींव के पत्थर से , कौन हो तुम
वो और नीचे को धसक गया , और बेचारा जाता भी कहा पर
सावन पूछता है बादल से , कौन हो तुम
बादल चला गया बरस कर, सावन को नही पता उसे किसने भिगोया
पतंग पूछती हैं मांझे से , क्यो पीछे पड़े हो मेरे
वो तो आसमान में पहुच गई हवा से बात करते करते
मैं पूछ बैठा मुझसे कि मैं कौन हूँ
आइना तोड के में सोने चला गया.
No comments:
Post a Comment