Monday, January 19, 2009

इस छोटी सी जिन्दगी के,गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ

इस छोटी सी जिन्दगी के,गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ,
सब को अपना कह सकूँ,ऐसा ठिकाना चाहता हूँ,
टूटे तारों को जोड़ कर,फिर आजमाना चाहता हूँ,
बिछुड़े जनों से स्नेह का,मंदिर बनाना चाहता हूँ.

हर अन्धेरे घर मे फिर,दीपक जलाना चाहता हूँ,
खुला आकाश मे हो घर मेरा,नही आशियाना चाहता हूँ,
जो कुछ दिया खुदा ने,दूना लौटाना चाहता हूँ,
जब तक रहे ये जिन्दगी,खुशियाँ लुटाना चाहता हूँ

इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे

छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे
अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे

लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन िजन्द्गी की तलाश है मुझे

दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे

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