वो बीस हजार कमाता था,
घर पर राशन पानी लाता था।
जैसे तैसे भी करके वो,
घर का खर्च चलाता था।
आफिस से घर पर आ कर,
लड़के को रोज पढ़ाता था।
रात जब भी घिर आती,
लड़की को लोरी गा सुलाता था।
दिवाली पर पटाखे लाता,
बच्चों को मेला घुमाता था।
आफिस से छुट्टी ले कर,
माँ-बाप को तीर्थ कराता था।
एक रोज फिर से वो घर आया,
सबने उसको चादर में लिपटा पाया।
ना राशन पानी साथ में था,
ना बच्चों को वो बुला पाया।
एक धमाके ने घर की,
सारी तस्वीर बदल रख डाली।
सुहाग किसी का लूटा,
और सारी खुशियाँ छीन डाली।
फिर घर में कुछ नेता आये,
झूठे आँसू आँख में लाये।
मीडिया का भी कैमरा चमका,
जिससे चैनल पे अपने, वो ये मंजर दिखा पाये।
सरकार ने फिर वही काम किया,
हर मृतक को रूपया लाख दिया।
चंद वोट पाने की खातिर,
ढुलमुल नीति से काम लिया।
‘तरूण‘ सभी तब उग्र हुए,
कुछ ने दोनों के पक्ष लिये।
जो तन लागी वो ही जाने,
क्या जख्म मिले, क्या घाव सिये।
दिन बीते, फिर साल गये
वो बच्ची अब खुद सोती है।
अपने घर की हालत को देख,
वो लाश अभी तक रोती है।
जागो हिंदुस्तान जागो.
जागो भारत जागो.
जगे युवा जगे हिंदुस्तान
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2 comments:
Bahoot achchha likhe Bhai. Kass Pura hindustan Jaag pata. to aatanki Hamle jaise Koi Naubat Hin Nahi aati
bahut bahut acha. aaj hame pata chala ki hamare bich bhi aik kawi h.
thnk you
bvery-2 much
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