Monday, August 3, 2009

दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा

दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा॥

दिल्ली की हमने बिल्ली देखा॥

जो एकदम से काली थी॥

बेईमानी की चुपडी खाती॥

उसकी शान निराली है॥

सच्चाई से नफरत करती ॥

अत्याचारी से करे मिलाप॥

दिन दहाड़े चोरी करवाती॥

सीधी जनता करे विलाप॥

उसकी मीठी बोली में ॥

काली करतूत का छुपा है लेखा॥

दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा॥

हर चौराहे पर खड़े सिपाही॥

फ़िर भी घटना हो जाती है॥

बिन ब्याह की यहाँ कुवारी ॥

कैसे माँ बन जाती है॥

उससे कोई प्रश्न न पूछे॥

न लेता कुकर्म का जोखा॥

दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा॥


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