Saturday, November 6, 2010
जिन्दगी की बेवफाई
कि जिन्दगी के ऐसे मोड़ पर आ खड़े होंगे,
जहाँ हर कोई होगा ,पर कोई अपना ना होगा,
किसको खबर थी की आग कैसे लग गई , जो लग सो लग गई,
तो क्या फिर जलते चिता से उठता धुँआ का गुब्बारा ना होगा ।
बहारे आएंगी और कोयल भी गाएगी,
बैठेगी कहाँ जब डाल ना होगा,
फूल खिलेंगे चमन में महकेंगे,
पर कोई भँवरा दिल लगाने वाला ना होगा ।
सागर से मोती चुराने गए थे,
पर जब सागर हीं आँखे चुराने लगे तब,
क्या करेंगे ले कर मोती ,
मोती तो होगा उसमे चाँद ना होगा,
बस पत्थर हीं पत्थर होंगे उसमें भगवान ना होगा ।
सबको अपना समझते थे , सबसे मज़ाक किया करते थे,
क्या मालूम था कि जिन्दगी ऐसा मज़ाक करेगी,
कि हर कोई मज़ाक उड़ाने वाला तो होगा,
पर कोई मज़ाक करने वाला ना होगा ।
इन्तहान देते देते थक गए हम,
बातों और भावनाओं में बह गए हम,
वो इन्तहान आखरी इन्तहान होगा,
जब होंगें खड़े हम नदी के तट पे ,
और कटता किनारा होगा ।
चलो मान लिया हम इस दुनिया के लिये बने हीं ना थे,
आखरी साँसो तक अकेले गुज़ारा होगा,
दूर दूर तक ऊड़ते रहेंगे तनहाई की रेत,
बस आँसुओ का हीं सहारा होगा ।
थे गँवार ,रह गए एक हीं पल्लू से बँध के,
साथ छोड़ गई वो बड़े वफ़ादारी से बेवफ़ाई करके,
अब मुझे और कहीं जाना गँवारा ना होगा,
खुद को देखेंगे,खुद पर हसेंगे,
ये दिल अब और आवारा ना होगा ।
Sunday, January 3, 2010
Marriage quotes
Marriage is very much like a violin; after the sweet music is over, the strings are attached.
Marriage is love. Love is blind. Therefore, marriage is an institution for the blind.
Marriage is an institution in which a man loses his Bachelor's Degree and the woman gets her Masters.
Marriage is a thing which puts a ring on a woman's finger and two under the man's eyes.
Marriage certificate is just another word for a work permit.
Marriage is not just a having a wife, but also worries inherited forever
Saturday, August 15, 2009
अपनी इच्छा को पाने एक लिए
Monday, August 3, 2009
दावत देने घर आती हो
फ़िर खाली थाल दिखाती हो॥
प्रेम की तिरछी नैन चला कर॥
बाद में हमें रूलाती हो॥
हम उलझ जाते है बात में रेरे॥
जब प्रेम का शव्द बताती हो॥
हम दिल को अपने दे देते है॥
क्यो पीछे मुह बिचकाती हो॥
बात बनाने में माहिर हो॥
छत पे हमें बुलाती हो॥
प्रश्न जब कोई पूछ मै लेता ॥
उत्तर देने में झल्लाती हो॥
वादा करना काम तुम्हारा॥
हां मुझसे भरवाती हो॥
कसमे कंदिर में खा करके ॥
अब मुझको क्यो ठुकराती
बीती हुयी जवानी
हमने भी छुपा राखी है ॥
उसकी दी हुयी निशानी॥
हमको भी याद आती है॥
बीती हुयी जवानी॥
सुंदर स्वरूप था॥
सादगी में ढल गई थी॥
उसकी मुस्कराते॥
मेरी नीव बन गई थी॥
होती थी बात जब जब॥
कर जाती थी नादानी॥
.....................
आती थी पास जब जब॥
सरमाता था जमाना॥
हस्ता था दिल हमारा॥
मई प्रेम गीत गाता॥
उसकी सुरमई आँखे॥
बताती थी मेरी कहानी॥
हमको भी याद आती है॥
बीती हुयी जवानी॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
खली हाथ रैहोबाबा छोट जाए गठरी ॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
धरम कइला ॥ करम कइला॥
पुष्य कइला ॥ पाप कइला ॥
घर्म की किवाड़ा से बंद होए कोठरी ॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
बनाय दिया ॥ बिगाड़ लिया॥
कह दिया ॥ कहवाय liyaa ..
अखिया से धोधुर होए॥
छूट जाए मुदरी...
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
खली हाथ रैहोबाबा छोट जाए गठरी ॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
धरम कइला ॥ करम कइला॥
पुष्य कइला ॥ पाप कइला ॥
घर्म की किवाड़ा से बंद होए कोठरी ॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
बनाय दिया ॥ बिगाड़ लिया॥
कह दिया ॥ कहवाय liyaa ..
पूजा कइला ॥ पाद कइला
दान कइला ॥ पुष्य कइला
जाते समय छूट जाए॥ माया वाली गठरी॥
एक दिन जाना पड़े राम जी की नगरी॥
दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा
दिल्ली की हमने बिल्ली देखा॥
जो एकदम से काली थी॥
बेईमानी की चुपडी खाती॥
उसकी शान निराली है॥
सच्चाई से नफरत करती ॥
अत्याचारी से करे मिलाप॥
दिन दहाड़े चोरी करवाती॥
सीधी जनता करे विलाप॥
उसकी मीठी बोली में ॥
काली करतूत का छुपा है लेखा॥
दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा॥
हर चौराहे पर खड़े सिपाही॥
फ़िर भी घटना हो जाती है॥
बिन ब्याह की यहाँ कुवारी ॥
कैसे माँ बन जाती है॥
उससे कोई प्रश्न न पूछे॥
न लेता कुकर्म का जोखा॥
दिल्ली की बिल्ली हमने भी देखा॥
Thursday, April 16, 2009
नहि सोभैय’ रँगदारी
राखू याज्ञवल्यक शान,
नहि बिसरु मन्डन अयाची,
वचस्पति विद्यापति केर नाम,
गौरव गाथा सँ पूर्ण धरा पर,
नहि करु एकरा सँग गद्दारी,
नहि सोभैय्य रँगदारी ।
हमर ज्ञान सँस्कृतिक चर्चा,
हई छल जग मे सदिखन,
छल शिक्षा’क केन्द्र बनल,
पहुँचल नहि शिक्षा’क किरण जखन,
आई ठाढ़ि छी निम्न पाँति मे,
नहि करु शिक्षा’क व्यपारी,
नहि सोभैय’ रँगदारी ।
किओ बनल सवर्ण’क पक्षधर,
किओ बनल अवर्णक नेता,
आपस मे सब षडयन्त्र रचि केँ,
एक दोसरा’क सँग लड़ेता,
अहाँ सँ मिथिला तँग भऽ गेल,
छोड़ू आब जातिक ठेकेदारी,
अन्हि सोभैय’ रँगदारी ।
बाढ़िक मरल रौदक झरकल,
जनता के आब कतेक ठकब,
गाम घर पर छोरी पराएल,
आब अहाँ ककरा लुटब,
भलमानुष किछु डटल गाम मे,
नहि फुँकू घर मे चिनगारी,
नहि सोभैय’ रँगदारी ।
Saturday, February 14, 2009
कहाँ गये वो दोस्त, जो हरदम याद किया करते थे
जान - बुझकर न सही, मगर भूले से भी मेल किया करते थे...,
खुशी और गम में हमारा साथ दिया करते थे...,
लगता है सब खो गया है ... प्रोजेक्ट्स की डेड्लाइन्स में...,
न अपनी न हमारी, जाने किसकी यादों में...,
ज़िन्दगी को भुला चुके हैं, नौकरी की आड में...,
हरदम फ़ँसे रहते है, अपने पी.एम. के जाल में...,
कभी आओ मिलो हमसे, बैठकर बाते करो...,
दर्द - ए- दिल अपना कहो, हाले - ए - दिल हमारा सुनो...,
क्या रंजिश, क्या है शिकवा, क्या गिला और क्या खता... ;
हम भी जाने तुम भी जानो, आखिर क्या मंज़र क्या माजरा...,
बस भी करो अब...
कह भी दो, अपने दिल का हाल,
क्या करोगे खामोश रहकर
जो चली गई ये ज़िन्दगी, चला गया ये कारवां...;
जागो प्यारे...! अब बस भी करो,
सिर्फ़ काम नही, थोडा ज़िन्दगी को भी महसूस करो...,
खाओ, पिओ, हँसो, गाओ, झूमों, नाचो, मौज करो...,
हकीकत में ना भले पर कम - से - कम ...
.. भूल से ही सही हमें याद तो करो...
हम तो हरदम देंगे यही दुआ आपको..
याद न भी करो तो क्या, चलो, एन्जॉय ही करो
कल मैने खुदा से पूछा कि खूबसूरती क्या है
तो वो बोले
खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है
खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए
खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ
खूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए
खूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ
खूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल हो
किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये
Friday, January 30, 2009
उदार
पुराने जमाने की बात है। ग्रीस देश के स्पार्टा राज्य में पिडार्टस नाम का एक नौजवान रहता था। वह पढ़-लिखकर बड़ा विद्वान बन गया था।
एक बार उसे पता चला कि राज्य में तीन सौ जगहें खाली हैं। वह नौकरी की तलाश में था ही, इसलिए उसने तुरन्त अर्जी भेज दी।
लेकिन जब नतीजा निकला तो मालूम पड़ा कि पिडार्टस को नौकरी के लिए नहीं चुना गया था।
दूरदर्शिता
जो मनुष्य केवल काम के प्रारम्भ को देखता है, वह अन्धा है। जो परिणाम को ध्यान में रखे, वह बुद्धिमान है। जो मनुष्य आगे होने वाली बात को पहले ही से सोच लेता है, उसे अन्त में लज्जित नहीं होना पड़ता।
समाधान क्या
एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ।
एक बार पिता अपनी दोनों पुत्रियों से मिलने गया। पहली बेटी से हालचाल पूछा तो उसने कहा कि इस बार हमने बहुत परिश्रम किया है और बहुत सामान बनाया है। बस यदि वर्षा न आए तो हमारा कारोबार खूब चलेगा।
बेटी ने पिता से आग्रह किया कि वो भी प्रार्थना करे कि बारिश न हो।
फिर पिता दूसरी बेटी से मिला जिसका पति किसान था। उससे हालचाल पूछा तो उसने कहा कि इस बार बहुत परिश्रम किया है और बहुत फसल उगाई है परन्तु वर्षा नहीं हुई है। यदि अच्छी बरसात हो जाए तो खूब फसल होगी। उसने पिता से आग्रह किया कि वो प्रार्थना करे कि खूब बारिश हो।
एक बेटी का आग्रह था कि पिता वर्षा न होने की प्रार्थना करे और दूसरी का इसके विपरीत कि बरसात न हो। पिता बडी उलझन में पड गया। एक के लिए प्रार्थना करे तो दूसरी का नुक्सान। समाधान क्या हो ?
पिता ने बहुत सोचा और पुनः अपनी पुत्रियों से मिला। उसने बडी बेटी को समझाया कि यदि इस बार वर्षा नहीं हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी छोटी बहन को देना। और छोटी बेटी को मिलकर समझाया कि यदि इस बार खूब वर्षा हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी बडी बहन को देना।